भुलक्कड़ भारत

मैं:

विचलित मन, कुंठित जीवन,
दिशाहीन, घटनाओं से सहमा, घबराया हुआ।
हर क्षण है मरता मेरे अन्दर यह भारत,
और भारतीयता की भावना।

वो:

विनष्ट तन, निर्जीव जीवन,
मैं ही थी वो घटना जिसने तुम्हे था जगाया।
मेरी मृत्यु के साथ मरी वो कल्पना,
जिसे हमने भारत कहलाया।

भारत:

घटनाएं तो रोज़ होती है, मैं हो चूका उसका आदि,
हिम्मत है तो तुम संभालो इतनी बड़ी आबादी।
घटनाएं तो होती रहेंगी, इसका है एक ही उपाय,
देश को छोड़ देने के अलावा तुम्हारे पास क्या ही है पर्याय?
मैं तो नहीं बदलूँगा, रहना है तो रहो,
वरना नापो रास्ता।

मैं:

तो क्या मेरा संघर्ष व्यर्थ जाएगा?

वो:

तो क्या मेरी मृत्यु व्यर्थ जायेगी?

भारत:

संघर्ष? मृत्यु? किसकी?
मैं तुम्हे जानता तक नहीं।
इतने सालो से यहाँ रहते हो,
इतना भी नहीं समझे की मैं बहुत जल्दी चीज़े भूल जाता हु।

मैं:

अरे भाई, क्रिकेट का स्कोर क्या हुआ है?
गुजरात के चुनाव कौन जीत रहा है?

वो:

ओह, तो तुम मुझे भूल भी गए?
तुम वही हो ना जो मेरे नाम रख रहे थे।
इंडिया गेट पर नारे लगाने वाले तुम्ही थे ना?

भारत:

हा हा हा।

मैं: 

यार आज फिर दिल्ली में एक घटना घटी,
बेचारी केवल 15 वर्ष की थी।

वो:

विनष्ट तन, निर्जीव जीवन,
मैं हूँ वो घटना जिसने तुम्हे फिर से  है जगाया।

भारत 

हा हा हा, फिर आ गए।

Comments

4 responses to “भुलक्कड़ भारत”

  1. VM Avatar
    VM

    sahi baat hai desi….hum log short term memory loss ka shikaar hain…bas ek headline se doosri sansanikhez khabar tak…..des ki chinta kisi ko nahin hai aur sab baap ka raaz hai….

    Like

    1. desh Avatar
      desh

      Mathuru, aise to fir kaise hoga Suvarnu Bharat ka nirmaan?

      Like

    1. desh Avatar
      desh

      shukriya 🙂

      Like

Leave a reply to desh Cancel reply