Tag: Mumbai Blasts

  • विस्फोट, तुम फिर आ गए!

    विस्फोट, तुम फिर आ गए!
    जीवन की कीमत तो तुमने समझी नहीं
    कम से कम
    भय की परिभाषा तो समझ लेते.

    मुंबई शहर में लोग हर क्षण है मरते
    ज़िन्दगी की भागदौड़ में दबते कुचलते
    इस भाग दौड़ थकान के बीच
    किसे है समय भयभीत होने का.

    भय है बढती महंगाई का, नौकरी का,
    भय है घर बार का, सब्जी तरकारी का.
    अरे विस्फोट तुमसे हम क्यों डरे
    मुंबई की बारिश की तरह हो तुम, रोज आते जाते,
    रोज की बारिश से
    किसे है समय भयभीत होने का.

    अब ये मन भयभीत नहीं
    यह बस सुन्न हो चुका है, थक चुका है
    एक प्रश्न पूछूँ तुमसे – उत्तर दोगे?
    क्या तुम नहीं थके?

    – अभिषेक देशपांडे ‘देसी’