Category: Poem

  • हैदराबादी प्रेम कहानी… जो हो ना सकी

    महिना था फरवरी का,
    समय था वोह अफरा तफरी का
    Placement का चल रहा था त्यौहार,
    क्योकि आजकल वही तो रह गया है प्रबंधन शिक्षा का सार.

    मैं बैठा था interview कक्ष मैं, सवालों से जूझता
    कभी हँसता, कभी लडखडाता
    अचानक मुझसे पुछा गया,
    आप लगते है कहानीकार
    हम देखना चाहते है आपके विचार.

    मैंने उठायी कागज़ कलम,
    सोचा प्रस्तुत करू हास्य रस, या फिर थोडा गम
    विचारों की धारा बहने लगी
    मेरी इस नौकरी को प्राप्त करने और हैदराबाद जाने की इच्छा बढ़ी.

    बिरयानी की आई महक,
    मन न जाने क्यों मेरा गया चहक
    चिरंजीवी का आया विचार,
    तेलुगु सिनेमा की जय जयकार
    वोह चावल का ढेर, पप्पू के संग,
    गोंगुरा का अचार जमाएगा रंग*
    चार मीनार की वोह गलिया,
    जहा पकेगा इश्क का दलिया
    पर इश्क के लिए तो चाहिए लड़की,
    तेलुगु सीखे बिना छाएगी कडकी
    सोचा मैंने यह सब करूँगा,
    तेलुगु सीख, लड़की पटा कर, शादी करूँगा.

    कुछ वक्त पश्चात आई यह खबर,
    मिली नौकरी छायी ख़ुशी इस कदर
    पर फिर मैं रहा गया मुंबई नगरी,
    न गया हैदराबाद न छायी प्यार की बदरी.

    आज विचार आया की काश कुछ ऐसा होता,
    मुह मैं डबल का मीठा और संग साथी अनूठा होता
    मुंबई की गलिया नाप नाप कर मैं हु थका
    यह था मेरा अनोका रिश्ता, जो हो न सका… हो न सका.

    * Pappu is thickish daal served usually in Andhra meals. Gongura is a super tasty pickle served along with rice and pappu and sambhar and the crispy veggies in an awesome andhra meal.

    This poem is dedicated to the wonderful lady who made me write this story in interview and all the awesome Hyderabadi/Andhra people.

  • टमाटर की व्यथा: Ketchup बनू या कटरीना का Body Wash

    गुमसुम गुमसुम…
    लाल लाल, नरम नरम,
    इस टमाटर मैं है बड़ा दम.

    जब टमाटर ketchup बन जाता,
    हर टेबल की यह शोभा बढाता.

    पकोड़े हो या पिज़्ज़ा, समोसा हो या आमलेट,
    टमाटर है कुदरत की एक भेंट.

    पर जब इंसान को हक है अपना जीवन जीने का,
    तो क्या टमाटर को हक नहीं अपनी राह चुनने का?

    किस्मत मैं था उसके की ketchup बन जाऊ,
    बच्चो बड़ो सबके दिल मैं समाऊ.

    पर उसे क्या पता था की वोह बन सकता है body wash कटरीना का,
    उस कोमल बदन पर छीटा गुलाब का.

    शीला की जवानी, टमाटर की रवानी,
    टमाटर लिखे प्यार की एक नयी कहानी.

    सलमान, रणबीर है किस खेत की मूली,
    जब खुद टमाटर खेले लाल रंग की होली.

    कटरीना भी हुई दीवानी,
    टमाटर की थी यही अनोखी कहानी.

    – अभिषेक देशपांडे ‘देसी’

    Refer:

    Ek Junoon- http://www.youtube.com/watch?v=KSsSM2IR2LY

    Inspirations: Rosesh Sarabhai

  • गीत नया गाता हूँ

    बचपन से ही मेरी राजनीति मैं काफी रूचि रही है। ९० के दशक मैं भारतीय राजनीति मैं खासे उलटफेर हुए, परन्तु उनमे से सबसे रोचक क्षण तब आया जब अटलजी ने प्रधानमंत्री का पद संभाला। बचपन में मैंने एक दिन पुस्तकालय से एक किताब उठायी, अटलजी की जीवनी जो रोचक भी थी, और काफी कुछ सिखाती थी। मुझे उनकी कवितायेँ पढना भी काफी पसंद आया। उनके बारे में समाचार पत्र में पढना, दूरदर्शन पर उन्हें सुनना काफी अच्छा लगा करता था।

    अब जब में उन दिनों को वापिस देखता हू, तो पाता हूँ की राजनीति से सारा रस ही छीन गया हैं। परिवारवाद और घोटालो से घिरी यह राजनीति में उन अच्छे वाद-विवादों, रस भरी कविताओं, अच्छे वक्ताओ, और इमानदार लोगो की खासी कमी है। ऐसा नहीं की उन दिनों स्त्थिथि कुछ बेहतर थी, परन्तु अटलजी जब तक इसका हिस्सा थे, तब तक एक उम्मीद थी, और भरोसा भी था। अटलजी का राजनीति से दूर होना, मेरे और मेरे कई मित्रो का इस विषय से रूचि खोने का भी कारण बना।

    २५ दिसम्बर को अटलजी ने अपना ८६वा जनादीन मनाया। मैं उनकी लम्बी आयु की कामना करता हूँ, और उम्मीद करता हूँ की भविष्य मैं हमें उन जैसे कुछ निर्विवाद, भरोसेमंद और प्यारे नेता मिले। अभी मैंने उनकी किताब मेरी ५१ कवितायेँ पढ़ रहा हूँ, सोचा मेरी पसंदीदा कविता के साथ इस लेख का अंत करू,

    टूटे हुए तारो से फूटे वासंती स्वर,
    पत्थर की छाती से उग आया नव अन्जौर,
    झरे सब पीले पट,
    कोयल की कुहुक रात
    प्राची में अरुणिमा की रेख देख पाता हूँ।
    गीत नया गाता हूँ।

    टूटे हुए सपने की सुने कौन सिसकी?
    अंतर को चीर व्यथा पलकों पर ठिठकी।
    हार नहीं मानूंगा,
    रार नहीं ठानूंगा,
    काल के कपाल पर लिखता-मिटाता हूँ।
    गीत नया गाता हूँ।

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  • Its Prayer Time…!!!

    No pre-match discussions, no predictions, no prophecies, its time to pray
    Let us pray so that we don’t become Sri Lankan Lion’s prey;

    A prayer from heart is what they say, will help the Men in Blue save,
    but don’t let the prayer be too strong,
    as the Blue may become darker and the colour a lil wrong;

    The last one for Dada, Dravid and Tendulkar,
    the first one for Dhoni and Pathan,
    Let all the firsts lasts and middles go on,
    Not tumble upon and fly back home so torn;

    Somehow I feel the prayer will succeed, as will our team,
    but we are habituated to hiccups and our team to indigestion,
    even if they win it will be surreal and even if they loose it will be quite away from real;

    But still let come together and Pray,
    as I, we and everyone from India doesn’t want this to end up as a messed up fray.

    Techonarati Tags: Cricket, World Cup, India, Sports, Poem